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कौन है?-

"समझ में नहीं आता जब वह लड़की रूम में अकेली ही आई थी तो उसकी हत्या किसने कर दी?" ठकराल भन्नाया  हुआ था। "बुरा ना माने तो एक बात कहूँ सर?" निर्मोही ठकराल से मुखातिब हुई । "जी जरूर कहीये!" ठकराल ने निर्मोही की कत्थई आँखों में आँखें डाल कर कहा।  "आप ही बताइए इस तरीके से मर्डर कौन कर सकता है?" "मुझे तो लगता है यह कोई साइकोकिलर का काम है।" "नहीं सर मैंने अपने सपने की बात आपको आधी अधूरी बताई। क्योंकि आप पूरी बात जानकर शायद यकीन न करते।" "जब तुमने सपने में मर्डर देखा उस बात को मुझे बताया तब वाकई मुझे यकीन नहीं हुआ था। मगर तुमने रुम नंबर 401 में पड़ी युवती की डेड बॉडी कि दुर्दशा के बारे में सही सही बताया तो मुझे तुम्हारी बात में थोड़ा दम लगा। अगर ऐसा न होता तो तुम्हारी बातें सुनने में इतनी देर खड़ा ना होता। वापस अपने काम में जुट गया होता। अब बताओ क्या कहना चाहती हो? क्या तुमने खूनी को देखा था?" "यस सर, मगर खूनी कोई इंसान नहीं बल्कि एक रुह है।" "यह क्या बकवास है?" ठकराल एकदम से बोल उठा।  "मैंने कहा था ना, आप यकीन नहीं करोगे? मगर यही सच है वो कोई रूह है, जिसने उस लड़की को इतनी बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया।" "कोई रूह कैसे किसी को मार सकती है? बात कुछ हजम नहीं हो रही, "अब मुझे लगता है मैं अपना वक्त जाया कर रहा हूँ।" "आप भले ही यकीन न करें लेकिन यही सच है। मैने उस रुह को देखा था जिसने हत्या की है।" इंस्पेक्टर ठकराल कुछ देर सोच में पड गया। शायद वह बात की गंभीरता को समझने की फिराक में था।  जैसे जैसे वह सोचता गया, उसके चेहरे पर बदलाव आते गये। कुछ देर बाद निर्मोही की बात पर गौर करते हुए बोला, "वैसे तो मैं ऐसी बातो में विश्वास नही करता पर इस केस ने मुझे एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है। इस केस को मैने दोनों ऐंगल से देख लिया है। अब मेरी समझ में कुछ कुछ आ रहा है। लक्ष्मण सबसे बात क्यों नही करता? लगता है उसने कुछ ऐसा देखा है। कुछ भयानक...हिंसक... हृदय को फाड देने वाला!  बाकी वह लडका डरे ऐसा नही है।" "आप किसकी बात कर रहे है सर?" आरवने चौकते हुए पूछा।  "लक्ष्मण की----उसकी ड्यूटी नाइट में चौथे फ्लोर पर थी। हमने उससे बात करने की काफी कोशिश की मगर वह कुछ नही बोल पाता। काफी डरा हुआ है। पहली बात तो वो हम सबको देखकर चिल्लाता है। मुझे लगता है उसका मानसिक संतुलन बिगड़ चुका है।" "उसका सीधा सा मतलब यही है सर कि उसने कुछ देखा है कुछ ऐसा जो आपने नहीं देखा। हम लोग भी उससे मिलना चाहेंगे। शायद वह कुछ हमें बता सके।" आरव ने दृढ़ निश्चय करते हुए ठकराल से कहा। "ठीक है आप लोगों को उसके घर जाना होगा। वह आज होटल पर आया ही नहीं है। मैं उसके घर पर जाकर आ गया। उसने अपने आप को एक कमरे में बंद कर लिया है। किसी भी इंसान को देखकर वह चीखने चिल्लाने लगता है। अगर आप उससे कुछ उगलवा लेते है तो मेरा काम और भी आसान हो जाएगा।  "हम कोशिश करेंगे सर, निर्मोही बोल उठी, "पहले उससे मिले तो सही। और एक बात आपसे पूछना चाहूँगी कुछ देर पहले एक औरत आपसे कुछ सवालात कर रही थी बता सकते हैं वो क्या जानना चाहती थी?" ठकराल को अचानक 40 साल की महिला आँखों में घूम गई, जो कुछ देर पहले उससे मिल कर गई।  "कमाल की बात तो यह है कि वह भी आपकी तरह मृतक लड़की के बारे में जानना चाहती थी। वह कह रही थी कि लड़की की शिनाख्त होते ही उसे बताया जाए!" "उन्होंने आपसे यह नहीं कहा कि वह मृतक लड़की के बारे में क्यों जानना चाहती थी?" आरव ने ठकराल पर नजरें टिकाए रखते हुए पूछा। "उस महिला ने कुछ बताया तो नहीं है लेकिन मेरे ख्याल से उसका कुछ अपना खोया होगा। ऐसी बेकरारी उसके चेहरे पर साफ साफ झलक रही थी। वह मुझ से विनती करके गई है की मृतक लड़की के बारे में कोई भी जानकारी मिले तो उस तक पहुंचाई जाए।" "वह मेरी मां थी।" निर्मोही ने ठकराल के होश उड़ा दिए। "क्या बात कर रही हो? तुम दोनों मां बेटी ने यह क्या लगा रखा है? बारी बारी से मृतक के बारे में पता लगाने की कोशिश तुम दोनों ने क्यों की, जबकि यह काम कोई एक भी कर सकता था?" "नहीं सर, मैं यहाँ आई हूँ यह बात मॉम नहीं जानती। मुझे डरावने सपने आते हैं ऐसा मैंने कभी मां को बताया नहीं है क्योंकि मैं उन्हें परेशान नहीं कर सकती। मेरी तन्हाईयों का वही एक सहारा है। आज उन्हें यहाँ देख कर मैं और आरव भी चौक गए।" "फिर तो तुम दोनों को इस बात का भी पता लगाना पड़ेगा कि तुम्हारी मां मरने वाली लड़की के बारे में क्यों जानना चाहती हैं? मुझे लगता है एक और सच बाहर आ सकता है जिसका आज तक तुम्हें कुछ पता ही ना हो।"  "वह तो वैसे भी हम पता लगा लेंगे सर, क्योंकि मेरे लिए यह जानना बहुत जरूरी हो गया है कि मरने वाले लड़के से मेरे सपने का क्या कनेक्शन है? उसे मारने वाली रुह किसकी है? इस लड़की को मारने के पीछे उसका क्या मकसद है?" "मां से तो हम लोग बाद में बात कर लेंगे पहले लक्ष्मण से मिलना चाहेंगे।" आरव भी इस रहस्य पर से पर्दा हटाने के लिए उतावला नजर आया। ठकराल को लगा शायद वह निर्मोही को पसंद करता है निर्मोही की परेशानी इस वक्त उसका सिरदर्द बनी हुई है और जल्द से जल्द वह निर्मोही को डरावने सपनों से छुटकारा दिलाना चाहता है। तभी तो कुछ सुकून के पल उसके साथ बिता पाएगा।लाश का पंचनामा फोटोग्राफी और फिंगरप्रिंट के सैंपल जैसी औपचारिकता पूरी होते ही ठकराल ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया।  "फिर सुबह आ रहा हूँ।" कहकर निर्मोही की तरफ घुमा। "अब चले, मैं तुम्हें लक्ष्मण के घर लिए चलता हूँ। कोशिश करके देख लो, अगर कुछ बताता है तो इस केस को सुलझाने में आसानी होगी।" ठकराल की बात सुनकर दोनों बाइक पर सवार हो गए।

निर्मोही ने होटल मिलन तक पहुंचते वक्त रास्ते में आई रुकावट के बारे में ठकराल से कुछ भी नहीं कहा। क्योंकि उसकी जरूरत नहीं थी। उसे मालूम हो गया था कि यह कोई रुह है जो कोई मकसद लेकर आई है। निर्मोही ने मन ही मन निर्धार कर लिया। 'जब तक उसके बारे में पता नहीं लगा लेती मैं चैन से बैठने वाली नहीं हूँ।'

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2 Comments

madhura

27-Sep-2023 10:18 AM

Fabulous part

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Gunjan Kamal

27-Sep-2023 08:54 AM

👏👌

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